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  • Emanch Admin
  • Aug 24, 2021
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ईमंच के ऑनलाइन "शास्त्रीय संगीत चर्चा"  में शामिल हुए एलंगोवन गोविंदराजन जी, दक्षिण भारतीय संगीत के सुप्रशिद्ध "वोकलिस्ट, नट्टुवनार और संगीतकार" ।

रायपुर। एलंगोवन गोविंदराजन जी चर्चा में बताया की उनके परिवार में कई लोग संगीतकार और नट्टुवनार कलाकर हैं, और उन्होंने कारनेटिक संगीत और नट्टुवंगम अपने पिता एवं गुरु के. जे. गोविंदराजन द्वारा शिक्षा प्राप्त किया है । आप एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं, और गायन के साथ साथ भरतनाट्यम नृत्य  के दौरान मुखर और नट्टुवंगम संगतभी प्रदान करते हैं। उन्हें नृत्य गायन के दौरान गाने और नट्टुवंगम संगतप्रदान करने की दुर्लभ कला अपने दिवंगत पिता से विरासत में मिला है ।  

चर्चा के दौरान गोविंदराजन ने बताया की आपने कई वर्णों, कृतियों, भजनों और तिलानों की रचना की है, जिसके लिए उन्हें काफ़ी प्रशंसा मिली, और आपने भारत में नहीं बल्कि 52 अन्य देशों में भी गायन के लिए यात्रा किया और प्रस्तुति दिया है, जिसमें शास्त्रीय और भक्तिगीतों की अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है। 

आपने दर्शकों से अपना अनुभव साझा करते हुए बताया की एक बार उनको बौद्ध धर्म अनुयायियों के कार्यक्रम में प्रस्तुति करना था परंतु उन्हें महात्मा बुद्ध पर कोई गीत नहीं होने के कारण स्वयं कम्पोज़ किया जिसे काफ़ी सराहना मिली और लोगों को पसंद आया ।

गोविंदराजन जी ने बताया की आपने अपनी पत्नी के साथ जो की भरतनाट्यम् की शिक्षिका है "परंपरा" संस्था की स्थापना किया है, जहाँ पर कला प्रेमियों को कर्नाटक संगीत और नट्टुवंगम सिखाते हैं, और आपकी पत्नी मैरी भरतनाट्यम सिखाती हैं ।  

आप भारतीय संस्थानों के अलावा विदेशों में कईसांस्कृतिक संघों जैसे कला भारती (मॉन्ट्रियल) रति स्कूल ऑफ डांस (ओटावा) और नाधमस्कूल ऑफ म्यूजिक एंड डांस (टोरंटो) के पैनल में भी हैं।

Published By : Emanch Admin

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